भारत में वापसी |
वर्ष |
महीना |
तारीख |
घटना |
1933 |
फरवरी |
11 |
'हरिजन' साप्ताहिक पत्र अंग्रेजी और हिंदी भाषा में प्रकाशित किया। |
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मई |
08 |
आत्म शुद्धि के लिए 21 दिनों का व्रत। |
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09 |
छः सप्ताह के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन भंग। |
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29 |
व्रत समाप्त। |
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जुलाई |
26 |
सत्याग्रह आश्रम भंग कर (तोड़) दिया। |
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30 |
बंबई सरकार को सूचना दी कि उन्होंने अपने 33 अनुयाइयों के साथ अमदाबाद से सविनय अवज्ञा आंदोलन पुनः शुरू करने का निर्णय लिया है। |
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31 |
गिरफ्तार हुए और बिना मुकदमे के जेल भेज दिया गया। |
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अगस्त |
04 |
रिहा हुए। लेकिन कानून तोड़ने के अपराध में फिर गिरफ्तार। |
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16 |
अछूतों को सुविधाएं मिलें, इसलिए व्रत रखा। |
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23 |
रिहा किये गये। लेकिन एक बार फिर प्रतिबंधित कानून तोड़ने के जुर्म में गिरफ्तार हुए। |
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नवंबर |
07 |
हरिजनों के उद्धार के लिए यात्रा शुरू। |
1934 |
सितंबर |
17 |
राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा। अब उनका उद्देश्य गांव में उद्योगों का विकास करना, हरिजन सेवा और उन लोगों को उनकी बुनियादी कला का ज्ञान कर शिक्षित करना था। |
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अक्तूबर |
26 |
'ऑल इंडिया विलेज इंडस्ट्रीज असोसिएशन' का उद्घाटन। |
1936 |
अप्रैल |
30 |
वर्धा के पास स्थित गाँव सेवाग्राम को अपनी गतिविधि का मुख्य केंद्र बनाया। वहाँ बस गये। |
1937 |
अक्तूबर |
22 |
वर्धा में शैक्षिक कांफ्रेस को संबोधित किया। अपने उन विचारों को भी रखा जिसके माध्यम से बुनियादी कला द्वारा शिक्षा प्राप्त करने की बात थी। |
1939 |
मार्च |
03 |
'आमरण अनशन' राजकोट में शुरू। ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए उन्हें दिए गये वचन के अनुसार नियम बनें। वाइसराय द्वारा खुद मामले में मध्यस्ता और 7 मार्च को व्रत समाप्त। |
1940 |
जुलाई-सितंबर |
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वाइसराय से मिलकर युद्ध की स्थिति पर चर्चा की। |
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अक्तूबर |
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व्यक्तिगत सविनय अवज्ञा को मान्यता। अधिकारियों की मांग पर हरिजन और उससे संबंधित पत्रों का प्रकाशन बंद। |
1941 |
दिसंबर |
30 |
उनकी खुद की मांग पर उन्हें कांग्रेस कार्य समिति के उच्च पद से पदमुक्त कर दिया गया। |
1942 |
जनवरी |
18 |
हरिजन और संबंधित साप्ताहिकों का प्रकाशन फिर शुरू। |
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मार्च |
27 |
सर स्टैंफोर्ड क्रिप्स से नई दिल्ली में मुलाकात। |
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मई |
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ब्रिटिश सरकार से 'भारत छोड़ो' की अपील। |
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अगस्त |
08 |
'भारत छोड़ो आंदोलन' के लिए बंबई में ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी की बैठक को संबोधित किया, और उसे अमल में लाने को कहा। |
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09 |
गिरफ्तार हुए। उन्हें पूना के आगा खाँ महल में कैद कर दिया गया। |
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15 |
गांधीजी के सहयोगी और उनके निजी सचिव महादेव देसाई की हार्ट फेल होने से मृत्यु। |
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अगस्त-दिसंबर |
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देश के अशांत माहौल को लेकर वाइसराय और भारत सरकार से पत्राचार। |
1943 |
फरवरी |
10 |
21 दिन का व्रत शुरू, जो 3 मार्च को खत्म हुआ। |
1944 |
फरवरी |
22 |
आगा खाँ महल में कस्तूरबा की मृत्यु। |
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मई |
06 |
बिना शर्त रिहा किये गये। |
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सितंबर |
09-27 |
मोहम्मद अल्ली जिन्ना से पाकिस्तान के संबंध में चर्चाएँ। |
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अक्तूबर |
02 |
कस्तूरबा गांधी के 75 वें जन्म दिन के अवसर पर कस्तूरबा मेमोरियल के लिए 110 लाख रुपए (8,25,000 पाउंड) की प्रस्तुति। |
1945 |
अप्रैल |
17 |
सॅन फ्रांसिस्कों कांफ्रेस के संबंध में यह बात कही कि समान और मुक्त भारत का निर्माण हुए बिना शांति नहीं लाई जा सकती। |
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दिसंबर |
19 |
शांति निकेतन में 'सी एफ ऍन्ड्रय़ूज मेमोरियल अस्पताल' की नींव रखी। |
1945-46 |
दिसंबर-जनवरी |
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बंगाल और आसाम के दौरे पर। |
1946 |
जनवरी-फरवरी |
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अछूत समस्या को दूर करने और हिंदुस्तानी सिद्धांत का प्रचार करने के इरादे से दक्षिण भारत की यात्रा। |
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फरवरी |
10 |
हरिजन और संबंधित साप्ताहिक समूहों में एक बार फिर नई जान फूंकी, उसमें नई चेतना भरी। |
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अप्रैल |
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दिल्ली में कैबिनेट मिशन की राजनीतिक बैठक में भाग लिया। |
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मई |
05-12 |
शिमला में, शिमला कांफ्रेस के सेशन में अपने विचार रखें, सेशन फलहीन रहा। |
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16 |
कैबिनेट मिशन ने अपनी योजनाओं की घोषणा की। |
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18-19 |
कैबिनेट मिशन के साथ योजनाओं पर चर्चा की। |
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26 |
ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रस्तुत की गई योजनाओं पर तर्क किये। |
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जून |
06 |
मैसूरी में गये। |
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07 |
दिल्ली वापस। |
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11 |
वाइसराय गांधीजी की मुलाकात, केंद्र में संयुक्त सरकार वाले प्रस्ताव पर बहस। |
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16 |
वाइसराय ने अंतरिम सरकार का प्रस्ताव पेश किया। |
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18 |
कांग्रेस कार्यसमिति ने अंतरिम सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करने का निश्चय किया। |
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20-21 |
कार्यसमिति की बैठक में शामिल हुए। गांधीजी क्रिप्स से मिले। |
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23 |
कांग्रेस को अंतरिम सरकार में शामिल न होने की सलाह दी। कहा कि वह संविधान सभा में शामिल हो। |
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24 |
कैबिनेट मिशन से मिले। |
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28 |
पूना जाने के लिए दिल्ली छोड़ी। |
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जुलाई |
07 |
बंबई में ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी की बैठक को संबोधित किया। कांग्रेस ने कैबिनेट मिशन की 16 मई की योजना को स्वीकार किया। |
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31 |
जिन्ना ने 'सीधी कार्रवाई' का ऐलान किया। |
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अगस्त |
12 |
वाइसराय ने कांग्रेस को अस्थायी सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। |
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16 |
कलकत्ता में भीषण नरसंहार। |
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24 |
वाइसराय वॉवेल ने योजना भेजी। |
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27 |
बंगाल की दुखद स्थिति पर ब्रिटिश सरकार को चेतावनी, वॉवेल को भी पत्र लिखा। |
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सितंबर |
04 |
अंतरिम सरकार बनी। |
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26 |
वॉवेल से मुलाकात। |
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अक्तूबर |
09 |
जिन्ना ने अपनी 9 सूत्री मांग कांग्रेस के सामने रखी। |
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10 |
नोआखली में खून-खराबा। |
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15 |
मुस्लिम लीग अंतरिम सरकार में शामिल होने के लिए सहमत हुई। |
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28 |
कलकत्ता के लिए प्रस्थान, बिहार के दंगे समाप्त। |
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नवंबर |
06 |
नोआखली यात्रा आरंभ। |
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20 |
बिना किसी दल के यात्रा शुरू। |
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दिसंबर |
20 |
श्रीरामपुर में एक महीने तक रहे। |
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25 |
नोआखली में लोगों से मिलकर अपनी बातें कहीं। |
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30 |
जवाहरलाल नेहरू ने गांधीजी को बुलाया। |
1947 |
जनवरी |
02 |
कहा "मेरे लिए चारों ओर घोर अंधकार है।" पदयात्रा करते हुए श्रीरामपुर छोड़ा। |
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03-29 |
बिहार के दंगा-प्रभावित क्षेत्रों में गये। |
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30 |
दिल्ली जाने के लिए पटना से चले। नया वाइसराय माउंटबेटेन दिल्ली आया। |
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अप्रैल |
01-02 |
दिल्ली में आयोजित एशियन संबंधों की कांफ्रेंस को संबोधित किया। |
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15 |
सांप्रदायिक शांति हेतु जिन्ना से कुछ मुद्दों पर बातचीत। |
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29 |
बिहार में। |
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मई |
01 |
कांग्रेस कार्य समिति ने सैद्धांतिक रूप से देश का विभाजन स्वीकार कर लिया। |
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24 |
बिहार छोड़ दिल्ली के लिए निकल पड़े। |
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31 |
कहा विभाजन के लिए शांति पहली शर्त होगी, विभाजन के पक्ष में नहीं थे। |
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जून |
02 |
वाइसराय ने विभाजन योजना की रूपरेखा रखी। कांग्रेस कार्यसमिति द्वारा मंजूरी। |
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03 |
माउंटबेटन की यांजना को भारतीय नेताओं द्वारा रेडियो पर भाषण। |
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06 |
गांधीजी ने माउंटबेटन को पत्र लिखकर विभाजन से पहले सभी मुद्दों को कांग्रेस के साथ सुलझाने को कहा। |
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12 |
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक संबोधित की। |
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जुलाई |
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'भारतीय स्वतंत्रता विधेयक' पारित हुआ (पास हुआ)। |
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27 |
भारत की रियासतों के राजाओं से जनता के वर्चस्व को विशेषाधिकार देने की अपील की। |
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अगस्त |
14 |
पाकिस्तान का जन्म। |
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15 |
कलकत्ता में हिंदु-मुस्लिम में भाईचारा। |
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16 |
कलकत्ता में चल रही हिंसा की आंधी में इस भाईचारे को गांधीजी ने चमत्कार माना। |
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सितंबर |
01 |
कलकत्ता की शांति को 'नौ दिन का आश्चर्य' बताया। उपवास का निश्चय। |
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02 |
कलकत्ता
के
आवास
पर
भीड़
का
जुटना, |
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04 |
व्रत तोड़ दिया। |
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07 |
दिल्ली जाने के लिए कलकत्ता से चल पड़े। दंगा-प्रभावित क्षेत्रों में प्रतिदिन दौरा करते। |
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24 |
पाकिस्तानी आक्रमणकारियों ने कश्मीर पर धावा बोला। |
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25 |
कश्मीर भारतीय संघ का हिस्सा बना। |
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नवंबर |
01 |
भारतीय सेना के लोगों ने जूनागढ़ में प्रवेश किया गया। |
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08 |
जूनागढ़ को भारत में स्वीकार किया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस समिति को संबोधित किया। |
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11 |
जूनागढ़ के भारत में शामिल होने का समर्थन। |
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दिसंबर |
25 |
भारत-पाकिस्तान के बीच मैत्रीपूर्ण समझौते के लिए प्रार्थना। |
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30 |
कश्मीर विवाद संयुक्त राष्ट्र के पास भारत ने भेजा। |
1948 |
जनवरी |
12 |
सांप्रदायिक शांति के लिए दिल्ली में उपवास शुरू। |
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15 |
स्वास्थ्य की स्थिति नाजुक । भारतीय मंत्रिमंडल द्वारा पाकिस्तान को 550 करोड़ की राशि अदा किये जाने का स्वागत किया। सांप्रदायिक शांति के लिए व्रत जारी था। |
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17 |
डॉक्टरों द्वारा चेतावनी, उपवास बंद करने की सलाह। केंद्रीय शांति समिति बनी और शांति बहाल करने की प्रतिज्ञा ली गई। |
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18 |
शांति समिति ने हस्ताक्षर किये, ''शांति बहाली की प्रतिज्ञा'' वाला पत्र गांधीजी को सौंपा गया। गांधीजी ने व्रत तोड़ दिया। |
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20 |
प्रार्थना सभा में उनको निशाना बनाकर बम फेंका गया। गांधीजी बाल-बाल बच गये। |
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27 |
मुस्लिमों के मेहरौले मेले में शामिल हुए। |
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29 |
क्रोधित शरणार्थियों ने गांधीजी से कहा कि वे सेवानिवृत्त होकर हिमालय में जाकर बस जायें। |
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30 |
कांग्रेस को लोकसेवक संघ में रूपांतरित करने के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया। शाम को प्रार्थना सभा में जाते समय उनकी हत्या कर दी गई। गांधीजी शहीद हो गये। |