दक्षिण अफ्रीका में आरंभ |
वर्ष |
महीना |
तारीख |
घटना |
1912 |
मार्च |
16 |
गोखले द्वारा 'अनुबंध प्रथा का उन्मूलन` करने के लिए गांधीजी की कोशिशों की प्रशंसा। |
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सितंबर |
12 |
फीनिक्स ट्रस्ट बनाया गया। |
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अक्तूबर |
22 |
गोखले के साथ दक्षिण अफ्रीका की यात्रा। यूरोपीय ड्रेस और दूध का बहिष्कार। केवल फलाहार ही करते थे। |
1913 |
जनवरी |
18 |
भारतीय भूमि पर वापसी का विचार। |
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मार्च |
14 |
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निणर्य में दक्षिण अफ्रीका में बसे भारतीयों के विवाह को मान्यता प्रदान नहीं किया। इसे अवैध ठहराया गया। |
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30 |
इस निणर्य के खिलाफ भारतीयों की विशाल बैठकें हुईं। |
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अप्रैल |
12 |
कस्तूरबा ने भी संघर्ष में शामिल होने का निश्चय किया। |
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मई |
19 |
सरकार को चेतावनी दी, और आंदोलन का सामना करने के लिए तैयार होने को कहा। |
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जून |
07 |
भारत वापसी का विचार त्याग दिया। विवेकपूर्ण और समान अधिकार वाले कानून की मांग की। |
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28 |
उचित व्यवहार के आवश्यक पहलुओं का विवरण तैयार किया। |
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सितंबर |
13 |
उनकी मांगों को निष्फल करार दिया गया। |
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16 |
कस्तूरबा गिरफ्तार हुईं। |
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अक्तूबर |
17 |
न्यू कैस्टल पहुंचे। वहां के खान में काम करने वाले मजदूरों से मिले। 3 पाउंड कर के विरोध में मजदूरों से काम बंद करने के लिए कहा। 3000 खान मजदूरों ने हड़ताल कर दी। |
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24 |
'ट्रंसवाल चलो` का सुझाव (नारा) दिया। |
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28 |
न्यू कैस्टल से लोगों ने 'मार्च` (कूच) किया। |
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30 |
चार्लस्टाउन पहुंचे। |
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नवंबर |
03 |
ट्रंसवाल की अदालत में कूच करने वाले लोगों ने अपनी गिरफ्तारियां दीं। यह गांधीजी की घोषणा थी कि अपना विरोध प्रदर्शन करते हुए लोग अपनी गिरफ्तारी दें। |
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05 |
गांधीजी ने फोन पर स्मटस् से 3 पाउंड कर के बारे में उनका निर्णय पूछा। |
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06 |
विशाल आंदोलन का नेतृत्व किया। |
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07 |
वॉल्कसरस्ट में जमानत पर रिहा। आंदोलन करने वालों के साथ फिर शामिल हुए। |
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08 |
स्टैंडैंर्टन में गिरफ्तार। जमानत पर छूटे। आंदोलन जारी। |
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09 |
टीकवर्थ में गिरफ्तार कर बल्फोर के पास ले जाया गया। |
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10 |
दिन में एक बार ही भोजन करते, जब तक कि कर माफ न कर दिया जाये। |
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11 |
9 महीने की सजा हुई और दुंडी भेजा गया। |
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दिसंबर |
18 |
बिना शर्त जेल से रिहा किये गये। जेल से छूटने और समझौता होने तक दिन में एक बार ही भोजन करते और सामान्य मजदूरों जैसे वत्र पहनते। |
1914 |
जनवरी |
13, 16, 22 |
जनरल स्मटस् से मिलकर अपना प्रस्ताव पेश किया। स्मटस् से समझौता हुआ। सत्याग्रह भंग कर दिया। |
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जून |
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भारतीय राहत विधेयक पास हुआ। |
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जुलाई |
18 |
इंग्लैंड की यात्रा पर गये। |
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अगस्त |
04 |
लंदन पहुंचे। भारतीय स्वयंसेवकों का दल तैयार किया। |
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अक्तूबर |
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स्वयंसेवक सैनिक काम पर जुट गये। सेना के दल में प्रशासनिक भूमिका के विरोध में सत्याग्रह। |
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दिसंबर |
19 |
भारत के लिए चल पड़े। |
1915 |
जनवरी |
09 |
भारत पहुँचे। 'केसर-ए-हिंद` गोल्ड मेडल से सम्मानित किये गये। |
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मई |
20 |
सत्याग्रह आश्रम की अमदाबाद में स्थापना की। बाद में साबरमती नदी के पास होने के कारण इसे साबरमती आश्रम के नाम से जाना जाने लगा। |
1915-16 |
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भारत और बर्मा की यात्रा, रेल के थर्ड क्लास डिब्बे में ही सफर किया। |
1917 |
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गांधीजी के मन में चरखे की बात आई। ताकि बड़े पैमाने पर लोग इस हस्त उद्योग का लाभ ले सकें। |
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अप्रैल |
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बिहार के चंपारन जिले में नील की खेती करने वाले किसानों पर हो रहे अत्याचारों को देखने, जानने के लिए खुद गांव-गांव, घर-घर तक गये। गिरफ्तारी हुई। बाद में छूटे। बिहार सरकार ने उन्हें किसानों की हालत का जायजा लेने वाली समिति का सदस्य नियुक्त किया। |
1918 |
जनवरी-मार्च |
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अमदाबाद के मिल-मजदूरों को न्याय दिलाने के लिए उपवास शुरू किया। खेड़ा जिले में गये। फसल न होने पर लगान माफ कराने के लिए सत्याग्रह। |
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अप्रैल |
27 |
दिल्ली में वाइसराय की 'वार कांफ्रेंस` में शामिल हुए। खेड़ा जिले में चल रही सैनिक भर्ती में हिंदुस्तानियों के प्रतिनिधित्व की मांग की। |
1919 |
फरवरी |
28 |
रौलेट
एक्ट
के
विरोध
में
सत्याग्रह
करने
की |
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अप्रैल |
06 |
अखिल भारतीय स्तर पर सत्याग्रह की शुरुआत। देशव्यापी हड़ताल शुरू। |
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08-11 |
पंजाब जाने से पहले दिल्ली में ही रास्ते में गिरफ्तार। बंबई लाया गया। देशभर में हिंसा शुरू हुई। |
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13 |
जालियांवाला
बाग
में
भीषण
घटना।
जनरल
डायर
के
इशारे
पर
चली
गोली
में
400
लोगों
की
मौत,
हजारों
जख्मी।
साबरमती
आश्रम
में
सभा
को
संबोधित
किया
और
तीन
दिन
के
उपवास
की |
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14 |
नाडियाड में सत्याग्रह के बारे में अपनी भयंकर भूल को स्वीकार किया। पंजाब में हिंसा जारी। मार्शल लॉ लागू हुआ। |
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18 |
सत्याग्रह वापस ले लिया। |
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सितंबर |
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गुजराती मासिक, नवजीवन का संपादन शुरू किया। बाद में हिंदी में भी साप्ताहिक शुरू किया। |
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नवंबर |
24 |
दिल्ली में आयोजित ऑल-इंडिया खिलाफत कांफ्रेंस की अध्यक्षता की। |
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दिसंबर |
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अमृतसर में कांग्रेस द्वारा मांटेग्यू चैम्सफोर्ड सुधारों को स्वीकार किये जाने की सलाह दी। |
1920 |
जनवरी |
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वाइसराय से मिलकर मुस्लिमों के खलीफा (जो कि तुर्की का सुल्तान था) को पद से वंचित न करने की मांग की। |
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अगस्त |
01 |
केसर-ए-हिंद गोल्ड मेडल, झुलू वार मेडल और बोअर वार मेडल वाइसराय को वापस सौंप दिया। |
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सितंबर |
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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता के विशेष अधिवेशन में गांधीजी के 'असहयोग आंदोलन` को समर्थन मिला। |
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नवंबर |
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अमदाबाद में गुजरात विद्यापीठ की स्थापना की। |
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दिसंबर |
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नागपुर के कांग्रेस अधिवेशन में गांधीजी के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया गया। स्वराज प्राप्ति के लिए जनता द्वारा शांति का मार्ग अपनाया जाएगा, यह निण्Zाय हुआ। |
1921 |
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राष्ट्रीय रचनात्मक आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए भारत में 1 करोड़ सदस्य बनाने, 'तिलक स्वराज फंड` के लिए 1 करोड़ रुपए जमा करने और 20 लाख चरखे स्थापित करने का कार्यक्रम शुरू। |
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अगस्त |
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विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के लिए किये जा रहे प्रचार का नेतृत्व। बंबई में विदेशी वस्तुओं की होली जलाई गई। |
1922 |
फरवरी |
01 |
बारडोली (गुजरात) सत्याग्रह शुरू करने से पहले वाइसराय को इसकी सूचना दी। |
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05 |
उत्तर प्रदेश में चौरी-चौरा कांड हुआ। जिसमें उपद्रवी भीड़ ने 21 पुलिसवालों को जिंदा जला दिया था। पांच दिनों का व्रत रखा, और सत्याग्रह आंदोलन स्थगित कर दिया। |
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मार्च |
10 |
राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार, 18 मार्च को छः साल की सजा सुनाई गयी। |
1924 |
जनवरी-फरवरी |
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पूना के ससून अस्पताल में अपेंडियायटिस का ऑपरेशन। 5 फरवरी को ही जेल से छोड़ दिये गये। |
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अप्रैल |
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यंग इंडिया और नवजीवन का दुबारा संपादन शुरू। |
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सितंबर |
18 |
हिंदु-मुस्लिम एकता के लिए 21 दिन का व्रत शुरू। |
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दिसंबर |
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बेलगाम की कांग्रेस समिति बैठक में अध्यक्षता की। |
1925 |
सितंबर |
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'अखिल भारतीय चरखा संघ` की स्थापना की। |
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नवंबर |
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आश्रम में रहने वाले लोगों के दुराचार के कारण सात दिन का उपवास। अपनी आत्मकथा लिखने लगे - मेरे 'सत्य के प्रयोग` की कथा। |
1927 |
नवंबर |
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श्रीलंका की यात्रा की। |
1928 |
दिसंबर |
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कलकत्ता के कांग्रेस अधिवेशन में शामिल। यहां यह संकल्प प्रस्तुत किया गया कि यदि वर्ष 1929 तक भारत को स्वतंत्र उपनिवेश का दर्जा नहीं मिला तो फिर उसका अगला लक्ष्य स्वतंत्रता होगा। |
1929 |
दिसंबर |
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लाहौर के कांग्रेस अधिवेशन में यह निर्णय हुआ कि कांग्रेस के स्वराज का अर्थ पूर्ण स्वराज (आजादी) है। |
1930 |
फरवरी |
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ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाने के लिए कांग्रेस के सर्वेसर्वा चुने गये। |
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मार्च |
02 |
वाइसराय को सूचित किया कि यदि कांग्रेस की मांगें नहीं मानी गईं तो वे नमक कानून को तोड़ेंगे। |
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12 |
दांडी के समुद्री किनारों की यात्रा। जहां उन्होंने एक चुटकी नमक उठाकर (6 अप्रैल) नमक कानून तोड़ दिया। |
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मई |
05 |
गिरफ्तार करके बिना मुकदमा चलाये जेल भेज दिया गया। देश भर में हड़तालें हुईं। वर्ष की समाप्ति के पहले लगभग एक लाख लोग गिरफ्तार किये गये। |
1931 |
जनवरी |
26 |
बिना किसी शर्त के कैद से छूटे। |
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फरवरी-मार्च |
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वाइसराय के साथ वार्ताओं (बातचीत) का कई दौर चला। बाद में 'गांधी-इरविन समझौता` हुआ। |
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अगस्त |
29 |
द्वितीय गोलमेज परिषद में भाग लेने के लिए कांग्रेस का प्रतिनिधि बनकर इंग्लैंड गये। |
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सितंबर-दिसंबर |
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बैठक में भाग लिया। |
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दिसंबर |
05 |
इंग्लैंड छोड़कर भारत के लिए चल पड़े। |
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28 |
बंबई पहुंचे। |
1932 |
जनवरी |
04 |
गिरफ्तार करके बिना मुकदमा चलाये जेल भेज दिया गया। |
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सितंबर |
20 |
सांप्रदायिक अधिनिर्णय में हरिजनों के लिए अलग निर्वाचन मंडलों की व्यवस्था कराने के लिए जेल में 'आमरण अनशन` प्रारंभ। |
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26 |
भारत सरकार की ओर से हरिजनों से संबंधित उनकी मांगें मान ली गईं। उन्होंने व्रत तोड़ दिया। |